आज की कहानी का नाम नाइकी की तलवार है। इस कहानी में आपको हमारे भारत देश की एक वीरांगना के बारे में बताया गया है। वैसे तो भारत देश मैं कई वीर और वीरांगनाओं ने जन्म लिया है। अगर आपको यह कहानी अच्छी लगती है तो आप हमें कमेंट के जरिए बता सकते हैं। ऐसी ही कहानियों के लिए हमें इंस्टाग्राम में फॉलो कर लें।
रानी नायकी देवी की तलवार हिंदी कहानी || Naiki ki Talvar Hindi Kahani
भारत देश की इस पावन धरती पर ऐसी कई वीरांगनाओं ने जन्म लिया है, जो अपने देश की रक्षा के लिए कभी पीछे नहीं हटी। ऐसी वीरांगनाओं में एक नाम रानी नायकी देवी सोलंकी का है, जिन्होंने अपनी कविता और बुद्धिमत्ता से मोहम्मद गौरी को रणभूमि से भगाने के लिए मजबूर कर दिया था।
रानी नायकी गोवा के राजा शिव चिंता की पुत्री थी। बचपन से उनकी रुचि तलवारबाजी और घुड़ सवारी में थी। उनके जैसा तलवार चलाने वाला दूर-दूर तक कोई नहीं था। नाइक का विवाह गुजरात के राजा अजय पाल सोलंकी के साथ हुआ। उनके मूलराज व भीमदेव नाम के दो पुत्र हुए।
कुछ समय बाद राजा अजय पाल की मृत्यु हो गई। तब मूलराज को राजा बनाया गया। उस समय मूलराज छोटा था, इसलिए महारानी नायकी देवी राज्य की देखभाल करने लगी। जल्द ही यह खबर विदेशी आक्रमणकारी मोहम्मद गौरी तक जा पहुंची। वह गुजरात की संपन्नता के बारे में अच्छी तरह से जानता था। वह उस पर अपना अधिकार करना चाहता था। इसलिए गोरी अपने विशाल सेना को लेकर वह “अन्हिलवाड़ा” पहुंच गया। उसने रानी को संदेश भिजवाया, अपना राज्य मुझे सौंप दो। रहम करके मैं सबको जीवित छोड़ दूंगा। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो मैं सबको मार दूंगा। अहंकार से भरा मोहम्मद गोरी रानी नायकी देवी को एक साधारण स्त्री समझने की भूल कर बैठा था। उसे पता नहीं था कि उसने किस वीरांगना को चुनौती दे डाली है।
रानी नायकी देवी जानती थी कि गौरी को पराजित करने के लिए ताकत की नहीं बल्कि बुद्धिमत्ता से काम करना होगा। जल्द ही रानी नाइकी ने योजना बना डाली। अगले दिन उन्होंने गौरी को उत्तर भिजवाया, हमें आपकी हर शर्त स्वीकार हैं। 7 दिन के बाद हमारा राज्य आपका होगा।
रानी ने आसानी से हार मान लीजिए यह सोचकर मोहम्मद गौरी की खुशी का ठिकाना ना रहा। उसने सैनिकों को जश्न मनाने के आदेश दे दिए। इस बीच रानी नायकी ने अपनी प्रजा को सुरक्षित स्थान पर भिजवा दिया। फिर खुद सैनिक को शत्रु की सेवा में शामिल होने का आदेश दिया।
इस तरह 5 दिन निकल गए योजना के अनुसार छठे दिन रानी नायकी देवी ने अपने पुत्रों को पीठ पर बांध और हाथ में तलवार लेकर अपनी सेना के साथ शत्रुओं पर आक्रमण कर दिया।
इस हमले से जश्न में डूबे शत्रु सैनिकों को संभालने का मौका ही नहीं मिला। रानी नायकी की सेवा ने गौरी को चारों ओर से घेर लिया। उसे समय नेकी देवी अपने तलवार से शत्रुओं को गाजर मूली की तरह काट रही थी। गौरी ने रानी का सामना करने की कोशिश की पर रानी की तलवार ने उसे बुरी तरह से घायल कर दिया। जैसे तैसे वह जान बचाकर वहां से भाग खड़ा हुआ। इस तरह रानी नाइक ने अपना राज्य बचा लिया।
कहते हैं की रानी नायकी देवी की वीरता से गोरी इतना डर गया था कि अगले कई सालों तक उसने गुजरात की और मुंह नहीं किया। ऐसे ही और भी कहानी आपको इस वेबसाइट पर मिल जाएगी तो अगर आपको कुछ इस तरह का कहानी पसंद है तो जाकर आप पढ़ सकते हैं। ऐसे ही कुछ मजेदार, डरावनी, रोमांचक कहानी, भूतिया, हिंदी कहानी, मोरल स्टोरी, ऐसे बहुत से कहानी आपको इस वेबसाइट पर मिल जाएगा। तो अगर आपको कहानियां पढ़ने का शौक है। तो आपको इस वेबसाइट के होम पेज पर विजिट जरूर करना चाहिए। ऐसे और भी कहानियों के लिए आप हमारे साथ जुड़े रहे। धन्यवाद