जंगल का चोर हिंदी कहानी
एक दिन सियार जंगल में शिकार की तलाश में घूम रहा था। कुछ देर बाद उसे जंगल में एक भैसा नजर आया जो कि पहले से ही मरा हुआ था। उसे देखकर सियार ने कहा ?
सियार :- चलो यह अच्छा हुआ कि यह भैसा पहले से ही मरा हुआ है। अब तो चलो पार्टी ही हो गई मेरी।
उस सियार ने उस मरे हुए भैसे का मांस भरपूर खाया और जो मास बच गया उसे अपने जबड़े से घसीट कर अपनी गुफा में ले जाने लगा। ले जाते हूए वह बहुत थक गया तो उसने सोचा कि थोड़ी देर आराम कर लूं आराम करने के बाद फिर इसको गुफा के अंदर ले जाऊंगा। ऐसा कहकर वह थोड़ा सा वहीं पर बैठ गया। तभी वहां पर अचानक से धूंआ फैलने लगा तो सियार ने सोचा ?
सियार :- अरे यह अचानक धूंआ कहां से आने लगा।
धूंआ बहुत तेजी से फैला और सियार को धूंआ के कारण कूच भी देखना बंद हो गया। कुछ मिनट के बाद जब धूंआ बंद हो गया तो उसने देखा कि उसका खाना वहां से गायब था। सियार ने यह देखकर कहां ?
सियार :- यह क्या हुआ मेरा खाना कहां गया।
फिर वह सियार इधर-उधर देखने लगा। उसको दूर-दूर तक उसका खाना कहीं नजर नहीं आया। उसको पास में ही एक नारियल जैसा दिखने वाला एक फल पड़ा हुआ दिखा।
अगले दिन एक मोटा हाथी और उसका दोस्त बंदर अपने लिए खाना इकट्ठा करके घर लौट रहे थे मोटे हाथी के पीठ में खूब सारी गन्ना और केले लदे हुए थे। तभी बंधन ने बोला।
बंदर :- खाना ढूंढने में बहुत ज्यादा मेहनत लग गई, लेकिन मुझे बहुत खुशी है कि हमने मिलकर हमारे लिए तीन-चार दिन का खाना इकट्ठा कर लिया हैं।
तभी वहां पर भी अचानक से धूंआ फैलने लगा दोनों जोर-जोर से धूंआ के कारण खांसने लगे और उन्हें भी कुछ दिखाई देना बंद हो गया। थोड़ी देर बाद जब दुआ हटा तो उन्होंने देखा कि हाथी के पिठ का सारा खाना गायब था। और इधर-उधर देखने पर उन्हें वहीं पास में वही नारियल के जैसा दिखने वाला फल पड़ा हुआ दिखा। उसी दिन के बाद से ऐसी चोरी रोजाना होने लगी और सभी चोरिओं के जगह पर वह नारियल के जैसे दिखने वाला फल पाया जाता।
फिर सभी जानवरों ने मिलकर जंगल के राजा शेर के पास गए। बंदर ने जंगल के राजा शेर को सब कुछ बताया और वही नारियल के जैसे दिखने वाला फल जंगल के राजा के सामने रख दिया।
शेर :- यह फल दिखने में नारियल की तरह लग रहा है, लेकिन असल में यहां कोई दूसरा फल है। नारियल अंदर से कभी खोखला नहीं हो सकता। यह फल कौन सा है और उस चोरी से क्या कनेक्शन है यह जानने के लिए हम सभी को मेहनत करनी पड़ेगी।
जंगल के राजा ने जानवरों से और थोड़ी देर तक ऐसे ही बातें की और उसके बाद सभी जानवर अपने-अपने घर की ओर चले गए। शाम को एक मैना पक्षी अपने घोंसले में अपने बच्चे चिंटू के साथ बैठे हुई थी। तभी उस पक्षी ने अपने छोटे से बच्चे को बोली ?
मैना :- चिंटू मैं तुम्हें कितनी बार समझाया है कि बिना बताए घोसला से कूद कर मत भागा करो तुमको उड़ाना भी नहीं आता। अगर किसी जानवर ने तुम्हें देख लिया तो वह तुम्हें मार कर खा जाएगा।
चिंटू :- फिक्र मत करो मम्मी अब से मैं कभी भी नहीं भागूंगा।
कुछ देर बाद मैना सो गयी और उसका बच्चा चिंटू अपने मन में सोचने लगा कि मम्मी सो गई है अब मैं सैर पर निकल सकता हूं। ऐसा सोच कर वहां से बाहर निकाला।
चिंटू :- आज तो रात भर घूमूंगा, मम्मी तो अब सिधा सुबह ही उठेगी।
ऐसा कह कर चिंटू तालाब की ओर चला गया तभी उसे पीछे से आवाज आई ? चिंटू ने अपनी पीछे पलट कर उस आवाज की ओर देखा, तो एक बिल्ला उसकी तरफ भाग भाग आ रहा था। वह अपनी छोटी छोटी पैरों से भागने लगा लेकिन आखिर कब तक ऐसे ही भाग पाती।
भागते-भागते उसने अपने सामने एक गुफा नजर आया तो वह उस गुफा में घुस गया जल्दी-जल्दी घुसने के कारण उसका दो पंख टूट कर वही बाहर गिर गया और वह बिल्ला यह देखकर कि वह पक्षी गुफा में पहुंच गई है इसलिए वह बिल्ला वहां से चला गया।
सुबह जब मैना कि आंख खुली तो उसने अपने बच्चे को अपने घोंसले में नहीं पा कर इधर-उधर ढूंढने लगी और बहुत परेशान हो गई। आसपास तलाश करने पर भी उसे अपना बच्चा चिंटू कहीं नहीं दिखा। तो वह सीधा जंगल के राजा शेर खान के पास उसके सभा में पहुंच गई। पहुंचने के बाद फिर मैना ने शेर खान को पूरी बात बताइए।
शेर :- क्या चल रहा है मेरी जंगल में पहले से ही तो खाना चुराने वाले का पता नहीं चल रहा हैं, अब तुम्हारा बच्चा भी गायब हो गया। सभी जानवर बच्चे को ढूंढना शुरू करो और मैना तुम मुझे अपनी घर में चलो हम दोनों उसको आसपास ढूंढने की कोशिश करते हैं।
फिर सभी जानवर बच्चे को ढूंढने के लिए निकल पड़े और इधर जंगल का राजा शेर उस मैना के साथ उसी गुफा के पास चिंटू को ढूंढते ढूंढते पहुंच गए। मैना ने गुफा के बाहर अपने बच्चे के टूटे हुए पंख देखें, देखते हुए ही पहचान गई कि वह पथ उसके बच्चे चिंटू का हैं।
मैना :- राजा जी यह तो मेरे बच्चे का पंख है।
शेर :- इसका मतलब है कि तुम्हारा बच्चा किसी गुफा के अंदर चला गया होगा, अंदर चलो देखते हैं।
यह कहकर जंगल का राजा शेर खान और मैना गुफा के अंदर गये गुफा में पहुंचते ही देखा कि मैना का बच्चा दूर एक कोने में डरा हुआ बैठा है। और उसके सामने एक लकड़बग्घा खड़ा हुआ था। लकड़बग्घा चिंटू को बोल रहा था?
लकड़बग्घा :- नन्हे से बच्चे तुमने यहां आकर बहुत बड़ी गलती कर दी है।
चिंटू :- मुझे छोड़ दीजिए लकड़बग्घा भईया।
लकड़बग्घा :- अगर तुझे छोड़ दिया तो मेरी असलियत और मेरा राज सबके सामने आ जाएगी। आज तुझे ही मैं अपना लंच बना लेता हूं।
ऐसा कहकर वह चिंटू पर झपटने ही वाला था की शेर खान ने उसे अपने पंजों में पकड़ लिया। फिर लकड़बग्घे को सभा में लाया गया और शेर खान ने कहा ?
शेर :- आज इस बच्चे के कारण हमारी जंगल में हो रही चोरियों के पीछे का चोर को पकड़ पाए हैं। अब आगे यह बताया कि चोरी कैसे किया करता था और इस नारियल के जैसे दिखने वाले फल की क्या गुत्थी है।
लकड़बग्घा :- मुझे हमारे राजा ने अपनी जंगल से निकाल दिया था। आप लोग मुझे अपनी जंगल में रहने नहीं दोगे इसलिए मैंने उस गुफा में रहने का फैसला किया था। अपनी भूक को शांत करने के लिए मैं आप लोगों का खाना चुराया करता था। यह एक ऐसा फल है जिससे तोड़ने पर उसके अंदर से धूंआ निकलता था। और इसी का इस्तेमाल मैं चोरी के लिए किया करता था। मैं इस फल को जमीन में फेंक कर उसे तोड़ दिया करता था जिससे वहां पर तुरंत धूंआ फैल जाया करता था, और बाकि जानवरों को कुछ दिखाई नहीं दिया करता था और मैं आसानी से चोरी कर लिया करता था।
शेर :- हूं तो यह बात है तुम इस जंगल में रह सकते हो लेकिन सरत यह है कि तुम दोबारा कभी चोरी मत करना। आगे से किसी का खाना चुराने की कोशिश मत करना।
लकड़बग्घा :- आपका बहुत-बहुत धन्यवाद राजा जी। और मैं वादा करता हूं कि आज से मैं कभी भी चोरी नहीं किया करूंगा।
सभी जानवरों ने चैन की शांस ली और जंगल में सभी जानवर प्यार से हंसी खुशी रहने लगे। लकड़बग्घा भी अब कभी भी चोरी नहीं किया करता और सभी की मदद किया करता था सभी जानवर उसके इस काम से बहुत खुश थे।