हेलो दोस्तों ! आज की कहानी का नाम चतूर सियार टबाकी बाकी है। यह कहानी एक जैसी करनी वैसी भरनी पर आधारित है। यानी की जैसा हम करते हैं ठीक को ऐसा ही हमें भविष्य में मिलता है। इसी तरह का कहानी अगर आपको पढ़ना पसंद है तो आप हमारे वेबसाइट के होम पेज पर जाकर ऐसी बहुत सी कहानी पढ़ सकते हैं। हमारे साइट पर विजिट करने के लिए आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद। नीचे आपको कहानी मिल जाएगा :-
चतूर सियार की कहानी
दूर कहीं एक जंगल था उस जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे। उसी जंगल में टबाकी नाम का एक सियार भी रहता था। वह बहुत ही दुष्ट था। जंगल के सारे जानवर तबकी से बहुत परेशान थे। यहाँ तक कि उसके सियार दोस्त भी उससे तंग आ गए थे। टबाकी को लगता था, कि वो सबसे बड़ा और ताकतवर है। इसी घमंड मे वह सबको परेशान करता था।
जंगल के सारे जानवर उससे दूर भागते थे। एक दिन टबाकी सियार शिकार की तलाश में जंगल से बहुत दूर बस्ती में जा पहुंचा और अपने मन में सोचा ?
टबाकी :- हूं आज तो बहुत बड़ा शिकार करूंगा। आज बहुत भूख लग रही है।
यह सोचकर वह बस्ती के अंदर जा पहुंचा और उसे बस्ती में कुछ कुत्तों ने देख लिया। फिर कुत्ते सियार के पीछे लग गए। टबाकी बहुत डर गया।
टबाकी :- हाय इन कुत्तों के पकड़ में आ गया तो यह कुत्ते मेरा कमा ही बना देंगे, बेहतर होगा कि मैं इनसे दूर भाग लूं।
यह कहकर टबाकी सियार वहां से दूर भाग गया। भागते-भागते वो जाकर एक मकान में छुप गया। और अपने मन में सोचा, हां मैं यहां छुप जाता हूं वो कुत्ते मुझे यहां नहीं पकड़ पाएंगे। जिस मकान पर टबाकी सियार छिपा था वह मकान एक धोबी क था। मकान में घुसते ही उसने इधर-उधर देखा और उसे एक कोने में एक बड़ा सा ड्रम दिखा। ड्रम को देखकर टबाकी ने सोचा ?
टबाकी :- हां यह सही रहेगा मैं इस ड्रम के अंदर में ही छुप जाता हूं वो कुत्ते मुझे कभी नहीं ढूंढ पाएंगे।
यह कहकर वह उस ड्रम में जाकर छुप गया। पूरी रात वह उस ड्रम में ही छिपा रहा। कुत्ते उसे नहीं ढूंढ पाए जब उसे लगा कि खतरा टल गया है तब टबाकी सियार ड्रम से बाहर आया। लेकिन जैसे ही वह ड्रम से बाहर आया तो उसने देखा कि वह पूरी तरह से नीले रंग में रंग चुका है। आप वह बहुत परेशान हो गया और सोचने लगा कि इस रंग को कैसे निकालूं ? और उसे रंग को निकालने की कोशिश करने लगा काफी देर तक कोशिश करने के बाद उसने सोचा कि मैं पहले अपने जंगल पहुंच जाता हूं फिर इस रंग को निकालने की कोशिश करूंगा। यह कहकर वह सीधा अपनी जंगल की ओर निकल गया। रास्ते में जाते-जाते दिखाओ कि जितने भी जानवर उसे देख रहे थे वह उसके नीले रंग को देखकर डर कर भाग रहे थे। यह देखकर टबाकी सियार ने सोचा?
टबाकी :- ये क्या यह सभी जानवर मुझे देखकर डर क्यों रहे हैं। हूं यह जरूर नीले रंग का असर है।
यह सोचते सोचते टबाकी के दिमाग में एक आइडिया आया और उसने बाकी जंगल के सभी जानवरों से कहा?
टबाकी :- अरे अरे डरो मत मैं तुम सभी को नुकसान नहीं पहुंचने वाला। मेरी बात तो सुनो, अरे मेरी तरफ देखा तो मेरा रंग कितना अलग है। ऐसा रंग पूरे जंगल में किसी भी जानवर का नहीं है। जरआसल मुझे वन देवता ने जंगल का राजा बनाकर भेजा है। तो जो भी मेरा बात नहीं मानेगा तो वन देवता उसे जलाकर भस्म कर देंगे।
टबाकी सियार ने अपनी चाल चल दी थी उसकी बात सुनकर जंगल के सारे जानवरों में अफरा तफरी मच गई थी। जंगल की सभी जानवरों ने उसकी बात को सच मान लिया।
जब यह बात जंगल के राजा शेर तक पहुंची तो वह भी घबरा गया। और उसने तुरंत अपने सिंहासन से उतरकर टबाकी सियार को दे दी सारे जंगल में यह बात फैल गई की अब से जंगल का राजा नीला सियार होगा और सबको उसकी बात माननी ही पड़ेगी। क्योंकि जो भी उसकी आज्ञा का पालन नहीं करेगा उसे वन देवता भस्म करके दंड देंगे।
टबाकी बहुत खुश था क्योंकि उसका प्लान कामयाब हो रहा था। उसने अपना सिंहासन सम्हाल लिया और शेर को अपना मंत्री और बंदर को अपना सेनापति बना लिया। और जंगल कि सियारों को उसने जंगल से बाहर निकाल दिया क्योंकि उनके द्वारा उसको पहचाने जाने का डर था।
नीला सियार जंगल का नया राजा बनकर खूब ऐस कर रहा था। जंगल के सभी जानवर उसकी खातिरदारी किया करते थे जो भी वह चाहता था सब वैसा ही होता था। कुछ दिन ऐसे ही बीत गए एक दिन सियार खा पीकर मस्त अपने सिंहासन पर आराम कर रहा था। उसने बाहर उजाला देखकर वह बाहर की ओर चला आया।
चांदनी रात थी और पास के जंगल में दूसरे सियार जोर-जोर से चिल्ला रहे थे आऊं आऊं यह सुनकर टबाकी सियार से कंट्रोल नहीं हुआ। राखी था तो सियार ही और भूल गया कि वह राजा बना हुआ है। तो उसने बाकी सियार की आवाज सुनकर उसने भी चिल्ला दिया आऊं आऊं आऊं ?
जैसे ही टबाकी सियार ने यह आवाज निकली तो जंगल के वन देवता ने भेजे हुए सियार का भांडा खत्म हो गया और जंगल के सभी जानवर एक साथ इकट्ठा हो गए जब दूसरे जानवरों ने देखा कि जंगल का भेजा हुआ कोई दूध नहीं बल्कि यह इसी जंगल का टबाकी सियार है और कब से उन्हें उल्लू बनाकर राजा की कुर्सी पर बैठा है। यह बात पता लगता ही जंगल के सभी जानवरों को बहुत गुस्सा आया और सब उसे करने के लिए उसके पीछे दौड़े। थोड़ी ही देर में शेर और चीते ने उसे यार को पकड़ लिया और उसे मार दिया।
इस कहानी से सीख
जैसी करनी वैसी भरनी छल कपट करने से एक दिन उसे ही नुकसान पहुंचता है। अगर आपको हमारा यह कहानी अच्छा लगे तो हमें कमेंट के जरिए जरूर बता सकते हैं ऐसी ही मजेदार कहानियां के लिए आप हमारे होम पेज पर विजिट करें धन्यवाद।