लालची बर्तन वाला हिंदी कहानी

किसी गांव में दो व्यापारी रहते थे एक का नाम मोटू सेठ और दूसरे का नाम पतलू सेट था। दोनों ही दूसरे गांव में जा जाकर बर्तन बेचने का व्यापार किया करते थे, वह गांव के लोगों से पुराने बरतन के उनके बदले उन गांव वालों को नए बर्तन दिया करते थे। मोटू सेट बहुत चालाक और होशियार था जब वह दोनों गांव में बर्तन बेचने जाते थे तब दोनों अलग-अलग रास्ते आपस में बांट लिया करते थे। एक इधर की गली जाता तो दूसरा उधर की गली जाया करता था। लोगों को जो भी बर्तन चाहिए वह लिया करते थे।

लालची बर्तन का व्यापारी

लालची बर्तन वाला

एक घर में लता नाम कि एक गरीब औरत अपने बेटी रानी के साथ रहा करती थी। यह परिवार किसी जमाने में बहुत अमीर हुआ करती थी‌, परंतु लता के पति का देहांत होने के बाद वह गरीब हो गई इनके पास कोई भी किमती चीज नहीं थी शिवाय एक सोने की कटोरे के लेकिन लता को यह पता ही नहीं था कि वह कटोरा सोने का है।

चालक मोटू सेठ गली से जा रहा था। पानी का गिलास ले लो, पानी का गिलास ले लो, कढ़ाई ले लो, बर्तन ले लो इस तरह से वह चिल्लाते चिल्लाते जा रहा था। उसे बर्तन वाले को देखकर रानी ने अपनी मां से कहा ?

रानी :- मां देखो बर्तन वाला आ रहा है आप मेरे लिए तो कुछ ले दो ना।

लता :- बेटी हम बहुत गरीब हैं और मेरे पास कुछ भी पैसे नहीं है।

रानी :- मां क्या हम पुराने बर्तन देकर नए बर्तन ले ले।

फिर लता ने उस मोटू सेट को अपने पास बुलाया और मोटू सेल से पूछा।

लता :- क्या यह तुम पुराने बर्तन ले सकते हो और मेरी बेटी को जो बर्तन चाहिए वह दे सकते हो।

फिर मोटू सेट अपनी गाड़ी रोकी और उस कटोरे को अपने हाथ में लेकर निरीक्षण किया और उसे अपने उंगलियों से घिसने लगा। कुछ देर तक घिसने के बाद उसे पता चला कि वह सोने का कटोरा है। फिर उसने अपने मन में सोचा कि इन दोनों मां बेटी को बुद्धू बनाकर इस कटोरे का दाम कम देकर इसे मैं हड़प लेता हूं। कुछ देर तक सोच विचार करने के बाद मोटू सेट ने बोला ? 

मोटू :- यह क्या उठाकर ले आए हो इसकी तो कोई एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिल सकती।

यह बोलकर मोटू सेट ने वह कटोरा जमीन पर फेंक दिया और वहां से चला गया। कुछ देर बाद पतलू सेट उस गली से जा रहा था। 

पतलू :- पानी का गिलास ले लो, कढ़ाई ले लो, बर्तन ले लो।

रानी ने पतलू की आवाज सुनी और अपनी मां से फिर से वही बात बोली जो मोटू सेठ के लिए बोली थी।

रानी :- मां चलो इस व्यापारी से पूछते हैं कि वह इस कटोरे के बदले हमें क्या दे सकता है।

लता :- देखो बेटी वह पहले वाले व्यापारी ने यह कटोरा फेंक दिया और चला गया। अब मेरे पास देने के लिए कुछ भी नहीं है।

रानी :- लेकिन मां वह व्यापारी कोई दूसरा था मुझे यह आदमी अच्छा लग रहा है वह हमें इस कटोरे के बदले कुछ ना कुछ जरूर देगा।

लता :- चलो ठीक है बेटी चलो इसे भी पूछ कर देख लेते हैं जाओ और उसे बुलाकर आओ।

फिर रानी दौड़ कर उस पतलू सेट के पास गई और पतलू सेठ को अपने दरवाजे पर लेकर आई। फिर लता ने पतलू सेट को वहां कटोरा दिया। पतलू सेट उसे छूते ही समझ गया कि वह कटोरा एक सोने का हैं और उसने लता से तुरंत ही बोला ?

पतलू :- लता बहन यह तो सोने का कटोरा है। मेरे पास इतना पैसा नहीं है कि मैं इसे खरीद सकूं।

लता और पतलू

लता :- लेकिन अभी-अभी तो एक व्यापारी आया था और वह इस कटोरे को बेकार की चिज़ कहकर इसे जमीन पर फेंक कर चला गया। अगर यह तुम्हें कीमती लगता है तो इसे ले लो और मेरी बेटी को जो चाहिए वह उसे दे दो।

परंतु पतलू सेठ के पास इतने पैसे नहीं थे लेकिन वहां बहुत अच्छा था इसलिए उसने अपने गाड़ी और गाड़ी में रखें सारे बर्तन और पैसे थे उसे लता को देखकर कहा ?

पतलू :- देखिए बहन जी मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि मैं इस सोने की बर्तन को खरीद सकूं इसलिए मैंने अपने सारे बर्तन और अपने सारे पैसे आपको दे दिए हैं और मेरे पास अपने घर जाने के लिए पैसे भी नहीं है। तो क्या आप मुझे ₹10 दे सकते हैं ताकि मैं अपने घर जा सकूं।

आखिर लता ने पतलू सेठ को ₹10 दिए और पतलू सेठ वहां से चला गया। पतलू सेठ के जाते ही फिर वह चालक मोटू से आया और आते ही उसने लता से बोल ?

मोटू :- चलो दे दो बहन जी आपका यह बेकार सा कटोरा। इसके बदले कुछ ना कुछ दे देता हूं मैं तुम्हारी बेटी को।

यह सुनकर लता गुस्से से मोटू सेठ को बोली ?

लता :- तुम तो बोल रहे थी कि यह कटोरा एक भानगढ़ हैं और यह कुछ काम का भी नहीं। लेकिन उस दूसरे व्यापारी ने इसे अच्छी तरह से परखा और इसकी अच्छी कीमत देखकर चला गया।

यह सुनकर मोटू गुस्सा हो गया और गुस्से में उसने अपने मन‌ में अपने आप को बहुत कोसा।

मोटू :- हे भगवान आज मैंने यह क्या कर दिया। इतना मूर्ख हूं, थोड़ी सी लालच के लिए बहुत सारा खो दिया।

यह कहते कहते मोटू सेठ बहुत रोआ और वहां से चला गया और जाते-जाते वह यही सोच रहा था कि उसने यह क्या कर दिया।

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