दयालु पिंकू सारस मजेदार हिंदी कहानी

दूर किसी जंगल में एक पिंकू नाम का एक अपाहिज सारस रहता था। उसकी चोंच किसी तलवार की तरह पहनी थी। इसलिए बाकी सारस जब भी कहीं जाते थे तो अपने बच्चों को पिंकू के पास छोड़कर जाते थे। एक बार की बात है जब वहीं पास के तालाब के पास एक लकड़बग्घा नजर आया। तभी उन बच्चों में से एक बच्चे ने कहा ?

दयालु पिंकू सारस

दयालु पिंकू सारस

बच्चा :- पिंकू मामा इस लकड़बग्घे से लड़ना खतरनाक है। आप भाग जाइए यहां से..!!

पिंकू :- अगर मैं भाग गया तो तुम लोगो को कौन बचाएगा। मैं नहीं जाने वाला।

लकड़बग्घा :- बस! बस! बस! करो आपस में लड़ो मत मैं सबसे पहले बच्चों को ही खाऊंगा और कल के लिए मैं इस अपाहिज सरस को रख लूंगा।

ऐसा कैसे लकड़बग्घा उनकी तरफ बढ़ने लगा। लकड़बग्घे के बच्चों के करीब पहुंचने से पहले पिंकू सारस आगे आया और लकड़बग्घे से बोला ?

पिंकू :- लकड़बग्घा यहां से चले जाओ वरना अच्छा नहीं होगा।

लकड़बग्घा :- हां हां हां !! तो यह लंगड़ा सारस मुझे रोकने की कोशिश कर रहा है। तू अभी देख मैं क्या कर सकता हूं।

इतना कह कर लकड़बग्घा तेजी से पिंकू सारस पर खुद कर झपटा। यह देखकर पिंकू वहां से हट गया और वह लकड़बग्घा पत्थर से जाकर टकरा गया। वह खुद को संभालता इससे पहले ही पिंकु सारस में अपने चोंच से उसके कमर पर हमला कर दिया। सारस की पहनी चोंच से लकड़बग्घा बहुत घायल हो गया। फिर लकड़बग्घा जल्दी से उठा और भाग पड़ा और लकड़बग्घा ने भागते भागते सारस से बोला ?

लकड़बग्घा :- अभी तो मैं जा रहा हूं सारस लेकिन याद रखना मैं अपने साथियों को लेकर जरूर आंउगा।

यह कहकर लकड़बग्घा बहुत तेजी से भाग। इधर जैसे ही शाम हुआ तो सभी बच्चों के माता-पिता लौट आ गए। फिर सभी बच्चों ने अपने माता-पिता को सारी बात बताइ और सभी बच्चों के माता-पिता ने पिंकू सारस को बहुत-बहुत धन्यवाद बोलने लगे। थोड़ी देर बाद रात हो गई तो सभी सारस सोने के लिए अपने-अपने घर चले गए।

कुछ दिन बाद उस जंगल में एक शिकारी आया जो की सारस क ही शिकार करने आया था। अपने दोस्त के चिड़ियाघर के लिए क्योंकि वहां पर कोई भी सारस पक्षी नहीं था।

शिकारी :- सभी सारस कहां चले गए हैं कोई दिख ही नहीं रहा है। आसपास नदी की आवाज आ रही है वहां पर मुझे कोई न कोई सारस मिल ही जाएगा।

यह सोचकर वह शिकारी नदी की ओर चला गया। इधर आज फिर हमेशा की तरह सभी सारस अपने बच्चों को पिंकू सारस के पास छोड़कर चले जाते हैं। पिंकू और सभी सारस के बच्चे नदी किनारे खेल रहे थे तभी वहां पर शिकारी उस नदी के पास पहुंच गया और उस शिकारी ने एक पेड़ के पीछे से पिंकू सारस पर निशाना लगाया और उसने बंदूक से गोली चला दिया। जो सीधा जाकर पिंकू के अपाहिज पंख पर लगा। इसके कारण पिंकू बेहोश हो गया।

पिंकू के बेहोश होते ही सभी बच्चे भाग गए और छुप गए फिर वहां पर शिकारी आया और पिंकू सारस को अपने साथ ले गया। थोड़ी देर बाद शाम हो गयी तो सभी बच्चों के मम्मी पापा आ गए। सभी ने पिंकू सारस को अपने बच्चों के साथ न देखकर बच्चों से पूछा।

सारस :- बच्चों तुम्हारे मामा पिंकू सारस कहां है ?

बच्चा :- मम्मी आज जंगल में एक शिकारी आया था और वह शिकारी ने मामू को पकड़ कर अपने साथ ले गए।

यह सुनकर सभी सारस बहुत दुखी हुए और पिंकू के लिए रोने लगे। इधर वह शिकारी पिंकू को पिंजरे में बंद कर दिया और उसने देखा कि सारस का पंख घायल हो गया है। उसे यही लग रहा था कि उसकी गोली के कारण ही सारस की पंख घायल हो गया है तो उस शिकारी ने पिंकू के पंख पर दवाई लगाई और सारस को पीने के लिए पानी और खाने के लिए खाना दिया। फिर वह शिकारी सोने के लिए चला गया।

सुबह जैसे ही वह शिकारी आया और देखा कि सारस कुछ भी खा पी नहीं रहा है और रो रहा है तो उस शिकारी को पिंकू पर दया आ गई और उसने पिंकू को अपने जाल से बाहर निकाला फिर सारस को जंगल में छोड़ने के लिए जाने लगा।

इधर जंगल में जब सभी सारस पिंकू के लिए सोच सोच कर रो रहे थे तभी वहां पर वहां लकड़बग्घा आ गया जो कि अपने दो दोस्तों को लेकर आया था लकड़बग्घा ने सारसों से कहा।

लकड़बग्घा :- रो मत सारसों हम जब तुम्हारे बच्चों को मार कर खा जाएंगे ना फिर रोना।

सारस :- ऐसा करने से पहले तुम्हें हमसे लड़ना होगा।

लकड़बग्घा :- ऐसा क्या चलो तो ठीक है पहले हम तुम्हें ही खा लेते हैं फिर तुम्हारे बच्चों को खा जाएंगे।

इधर शिकारी भी जंगल में पिंकू को छोड़ देता है और पिंकू सारस बहुत खुश होकर दौड़ने लग जाता है और उसे शिकारी को शुक्रिया कहता है फिर अपने घर की ओर चलते हुए जाता है। थोड़ी देर तक चलते-चलते उसे यह एहसास होता है कि उसकी पंख ठीक हो गई है। जो शिकारी की वजह से हुआ था क्योंकि शिकारी ने अपनी दवाई से इलाज किया था।

फिर पिंकू सारस उड़ते हुए जल्दी से वहां नदी की ओर पहुंच गया। उसने देखा की दुष्ट लकड़बग्घा उसके दोस्तों को मारने के लिए उनके सामने खड़ा है। तो फिर वह जल्दी से गया और लकड़बग्घा के सामने जाकर खड़ा हो गया। पिंकू को देखकर लकड़बग्घे के दोनों दोस्त भाग खड़े हुए। क्योंकि वह दोनों लकड़बग्घा को पिंकू ने बहुत बार मरा होता है। यह वह इस बार मार नहीं खाना है कह कर भाग जाते हैं। यह देखकर लकड़बग्घा भाग जाता है और वापस जंगल कभी लौट कर नहीं आता।

बाकी सारसों ने उसका बहुत बहुत शुक्रिया किया और उसकी पंख के बारे में पूछा जो अब बिल्कुल ठीक हो गया था तो पिंकू ने वह सारी बात बताई जो उसने देखा फिर सभी हसी‌ खुशी जंगल में रहने लगे।

Leave a comment