एक घमंडी चिड़िया की कहानी

किसी जंगल में एक चंपा नाम की चिड़िया जंगल के बीचो-बीच एक बड़े बरगद के पेड़ में रहती थी। उसके अलावा भी उस पेड़ में कई प्रकार की चिड़िया रहा करती थी और एक मधु नाम की गिलहरी भी अपने परिवार के साथ रहा करती थी। जंगल के सभी जानवर भी उस पेड़ की छांव में बैठना पसंद करते थे, चंपा चिड़िया भी जंगल की सभी जानवरों को अपना समझती थी और उनकी मदद के लिए वह हमेशा तैयार रहा करती थी। इसी वजह से जंगल के सभी जानवर भी उसकी दिल से इज्जत किया करते थे लेकिन चंपा चिड़िया की बेटी चंपाकली अपनी मां के स्वभाव से बिल्कुल विपरीत थी। वह हमेशा अपनी मनमानी किया करती और किसी से भी बात नहीं किया करती थी। एक दिन की बात है जब मधु गिलहरी चंपा से बात कर रही थी ?

मधू :- चंपा बहन देखो मेरे बच्चे को क्या हो गया है। एक इंसानी बच्चे ने इस पेड़ पर चढ़ना देखकर पत्थर से मार दिया है और तब से इसकी पिठ बहुत दुख रही है।

चंपा :- अरे मधू बहन !! मुझे पता है की मां अपने बच्चों को दर्द में कभी नहीं देख सकती। 1 मिनट रुको मैं अभी देखती हूं।

यह कहकर चंपा मधु की बच्चे को देखने लगी और थोड़ी देर तक देखने के बाद वह उड़कर गई और थोड़ी ही देर में उसने अपने चोंच में तीन हरी पत्तियां लेकर लोटी।

चंपा :- लो बेटा तुम इस हरी पत्तियों को खा लो इससे तुम्हारा दर्द तुरंत गायब हो जाएगा।

यह कहकर चंपा चिड़िया ने गिलहरी के बच्चे को वहां पत्तियां खिला दी। गिलहरी की बच्चे ने जैसे ही उन पत्तियों को खाया तो उसे दर्द का एहसास होना बंद हो गया। यह देखकर वहां गिलहरी की बच्चे ने बोला ?

बच्चा :- अरे वह मम्मी मुझे तो बिल्कुल भी दर्द नहीं हो रहा थैंक यू चंपा आंटी।

इधर चंपा की बेटी चंपाकली यह सब ऊपर से बैठकर सब देख रही थी यह सब देखने के बाद चंपाकली ने अपने मन में सोचा ?

चंपाकली :- पता नहीं मम्मी कब समझेगी ऐसे बेवजह किसी की मदद करके अपना टाइम खराब करके भला क्या मिलेगा।

चंपाकली के यहां सोचते सोचते रात हो गई और चंपाकली भी सो गई फिर अगले सुबह चंपाकली सैर पर निकाली और एक पेड़ पर बैठकर सोचने लगी।

चंपाकली :- इस रहस्यमई जंगल की तरफ आखिरकार हमारे जंगल से कोई जाता क्यों नहीं। क्यों ना आज मैं ही चल कर देख कर आया जाया जाए।

तभी वहां पास में ही बैठे एक मोंटू नाम के बंदर ने चंपाकली को यह कहते हुए सुन लिया और वह मोंटू नाम का बंदर चंपाकली से बोला ?

मोंटू :- सोचना भी मत वहां जाने की पहले जितने भी जानवर हमारे जंगल से उस रहस्यमई रास्ते की ओर से गए हैं वह कभी भी लौट के नहीं आए। वहां जाना अपने जान को जोखिम में डालने जैसा है चंपाकली।

चंपाकली :- चुप रहो…!! एक बंदर होकर मुझ जैसे खूबसूरत चिड़िया से बात करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई।

मोंटू :- तुम चंपा चिड़िया की बेटी हो इसलिए मैं बता रहा हूं। वह किसी के साथ बुरा नहीं करती कोई इसीलिए मैं तुम्हें चेतावनी दे रहा था।

चंपाकली :- रहने दो मेरी मां तो पागल है बेकार में लोगों की मदद करके अपनी टाइम बर्बाद करती रहती है। मैं अपनी मां के जैसी कभी भी नहीं बनना चाहती।

यह कहकर चंपाकली उस रहस्यमई जंगल की तरफ उड़ गई वहां पर उसने ऐसे ऐसे पेड़ और फल देखे जो उसने आज तक कभी भी नहीं देखे थे और वहां की खुशबू भी बहुत ही अलग थी।

चंपाकली :- ह हां कितना मजा आ रहा है यहां किसी के साथ रहने की अब मुझे कोई जरूरत नहीं यहां पर तो अकेले भी रहा जा सकता है।

चंपाकली यह सोचते सोचते उड़ते उड़ते जा रही थी तभी उसे एक नीली सेब का पेड़ दिखा। तो वहां जल्दी से जाकर उसे पेड़ पर बैठ गई और कहने लगी।

चंपाकली :- अरे वह आज तक मैं नीला सेब कभी नहीं देखा।

ऐसा कहकर चंपाकली ने उस नील सेब पर अपना मुंह मार दिया। वह नीला सेब इतना मीठा और टेस्टी था कि उसने उस नील सेब को पूरा ही खा लिया। उसे पता ही नहीं चला कि उस को खाने से उसकी जवान और उसकी सोच नीली हो चुकी थी।

चंपाकली :- वह आज तो इसको खाकर मजा ही आ गया आगे चलकर देखती हूं कि जंगल में और क्या-क्या मिलता है।

यह कहकर चंपाकली आगे बढ़ गई। तभी एक बड़े सा बाज उसको देखकर बोला ?

बाज :- अरे वह नीली चोच वाली चिड़िया। इसका मांस तो बहुत टेस्टी होता है।

इस तरफ मोंटू बंदर भी चंपाकली की मां चंपा के पास पहुंचा। जो काफी परेशान दिख रही थी चंपाकली चिड़िया की मां यह देखकर मोंटू बंदर ने चंपा से पूछा ?

मोंटू :- आपको क्या हुआ चंपा बहन आप इतना उदास क्यों लग रही हो।

चंपा :- अब क्या बताऊं मंटू भैया इस चंपाकली कि बिना बताए कहीं भी निकल जाने की आदत से मैं बहुत ही परेशान हूं। मैंने पूरा जंगल खोज डाला लेकिन वह मुझे कहीं भी नहीं मिला अब मैं इसे कहां ढूंढू।

घमंडी चिड़िया

मोंटू :- अरे चंपा बहन तुम्हारी बच्ची चंपाकली रहस्यमई जंगल की तरफ गई है।

इसका नेस्ट पाठ बहुत जल्दी आएगा तब तक आप इस पोस्ट पर कमेंट करके अपना राय जरूर दें।

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